केसरिया जी की लावणी : Rishabhdev / Kesariyaji Lavani 

Kesariyaji Lavani 1st Para – ऋषभदेव / केसरिया जी की लावणी

Kesariyaji Lavani 1st Para – ऋषभदेव / केसरिया जी की लावणी

गणपत गरबा ने लागू सो पाए, सांचा सपना तो देवी ने दुपतराया। प्रगट हुओ रे स्वामी बड़ोदे, 

आवी आवी रे तरकानी फोजा, नन्दी सामन्ता डेरा जे दीदा।  पडीयो तड़की तो बान्धे मन सोभा। 

उगती करणिया माय वागड भेडुं, वागड वीखे तो भले रूथासी।  बावसी प्रतापगढ़ देवलिए चौकी मेलावो, 

बावसी डूंगरपुर बाँसवाडे चौकी मेलावो। पसे भागा रे वसमाला गांमा। गांमा गांमा भागे ने सोएमा करसी। 

करणी समझे तो करणी समझावां, नीतर बडाल अमे करसी। काली राते तो कागदिया लखिया। 

धामनतो दौडन्तो कासिदो भेजियो, भेजियो भेजियो रे श्री उदीयापुर सेरां। 

पगे लागूं रे जोसी देवन्ता, केती आयो रे जोसी देवन्ता। केती जावेरे जोसी देवन्ता। 

अमे आवां रे मारवाड़ नी धरती, अमे जावां रे धुलीयानी धरती। फरते बामण तो पासेरू जोयुं। 

पेले ठाकरड़े तरवारां पकडी, लडवा सारु तो सडे सबाणा। ऐके घोडो ने ऐके असवारा, लीलडीयो घोडों ने केसरियो वागो। 

Kesariyaji Lavani 2nd Para – ऋषभदेव / केसरिया जी की लावणी

आंगी टोपा तो श्री रीखबजी पेरिया, जीण बखतर तो श्री रिखबजी पेरिया। हाथे लीधु रे संदेड़ू सेलु। 

करे कीका ने रेवन्तो हाकियो, आधो डलो तो टोपा सु मारियो, आधो डलो तो ठोपरा सु मारियो। 

ढ ढा उपरतो ढढ़ेरू जोयू। नन्दी सामन्तों रंगता री चाली, पाऐगी घोडा तो पछाडी दौडे, 

रुडीया घोडा तो नाटेरी जावे। भागी फोजा तो नाटेरी जावे। चोरासी झटका तो श्री रिखबजी झेलिया। 

उठ रे सेवकिया सुतो के जागे, बावसी कईयक सूतो ने कईयक जागूं, बिलख वगे ने हैलो जेराल्यो। 

उठ रे धुलिया गमेती सुतो के जागे, बावसी कईयक सूतो ने कईयक जागूं। 

3rd Para

नाम तो थारा ने दरशन मारा। करी जोर से मूरत पकडी, अमरी मूरत तो हाले न चाले, 

बावसी तमरी मूरत तो फूलां सू फोरि। सव्वा नो मण नी लापसी गेरवो, माणे मुरातनां कुंपा भरावो, 

सवा नो दन नो रको रखावो। साडा नो दनते उगाडे जोजो, जगाय जासी ने मलेजासी।   

फाटी जाजम रो संग जो आया, आयो आयो रे सेयनी पार। बावसी दरशन देवो तो अन्न जल खावां, 

नीतर खावां रे आगले भवा। बावन जेनालो देवलमंडावा तल तल ऊपर तो परवाण कोरावो। 

भीतर नंगारजोडे चडावो।  नारेल हल्दी बोरियां चडावो, केसर हन्दताकी चमकावो। 

पावडियें चडता तो पराजत उतरे, दरसन करतां तो दालिदर कटे।   

Kesariyaji Lavani - History / केसरिया जी की लावणी

Kesariyaji Lavani – History / केसरिया जी की लावणी – इतिहास

Actually Kesariyaji Lavani (केसरिया जी की लावणी) is a epic story or you can say the song of origin of Kesariyaji effigies which was mentioned somewhere in history books of rajasthani author but I don’t have the reference for the same and I was in search of the lavani form the long time then I got to know that Mr. Mangi Lal ji Chittora lives in Ayed Udaipur, a middle aged man with an iconic personality who has memorized this whole lavani in their childhood. Later they scribed it down and distributed it among people so the younger generation could memorize this wonderful legend of kesariyaji. 

Now writerclubs is going to digitize this wonderful Kesariyaji Lavani for people of Rajasthan and across India. Thank you.

Source : Mangli Lal ji Chittora (Udaipur Ayed) 

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